जीवन की यही सच्ची कहानी है...
बाकि तो तमाशे हैं जहां में कई,
कुछ अफ़साने तो कुछ दर्द भी सही...
तमाम उम्र गुजर जाती है यहाँ,
सुकुन फिर भी किसीको मिलता कहाँ...
पीछे मुड कर देखो जिंदगी में कभी,
तो लगता है लम्हा बिता वो अभी-अभी...
जीवन की यही सच्ची कहानी है,
ये जिंदगी तो आनी-जानी है...
ठोकर खाकर ही संभलते हैं लोग,
ठोकर बिन संभलने का अस्तित्व नहीं...
कुछ खोकर ही कुछ पाते हैं यहाँ,
बिन खोये पाने का कोई महत्व नहीं...
रिश्ते बहुत ही नाजुक डोर हैं जीवन के,
जिसका जहाँ में कोई ओर-छोर नहीं...
जीवन की यही सच्ची कहानी है,
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