Sunday, December 28, 2008

तेरे बिन जिया ना जाये!

तेरे बिन अब जिया ना जाये,
सुकुन इस दिल को कहीं ना आये ,
तेरी ही मोहब्बत में जी रहे हैं,
वरना ये ज़माना हमें रास ना आये,
जाओ मेरी पनाह में तुम,
सुबहो शाम तुम्हारी याद सताये,
तुम्हारे बिन अब जीया ना जाये ,

खडे रह्ते हैं गलियारे में अक्सर,
के कहीं तु हमें नज़र जाये,
तेरी बेपनाह मोहब्बत कि प्यारी,
सोहबत हमे कभी-कहीं मिल जाये,
सुना करता हूं हर आहट बडे़ ध्यान से,
कहीं दरवाज़े पे तेरी दस्तक़ ना जाये,

तेरे बिन अब जिया ना जाये!
तेरे बिन अब जिया ना जाये!
तेरे बिन अब जिया ना जाये!


@ Dins'

~:

No comments:

Post a Comment