तेरे बिन अब जिया ना जाये,
सुकुन इस दिल को कहीं ना आये ,
तेरी ही मोहब्बत में जी रहे हैं,
वरना ये ज़माना हमें रास ना आये,
आ जाओ मेरी पनाह में तुम,
सुबहो शाम तुम्हारी याद सताये,
तुम्हारे बिन अब जीया ना जाये ,
खडे रह्ते हैं गलियारे में अक्सर,
के कहीं तु हमें नज़र आ जाये,
तेरी बेपनाह मोहब्बत कि प्यारी,
सोहबत हमे कभी-कहीं मिल जाये,
सुना करता हूं हर आहट बडे़ ध्यान से,
कहीं दरवाज़े पे तेरी दस्तक़ ना आ जाये,
तेरे बिन अब जिया ना जाये!
तेरे बिन अब जिया ना जाये!
तेरे बिन अब जिया ना जाये!
@ Dins'
~:
Sunday, December 28, 2008
तेरे बिन जिया ना जाये!
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