क्यों है तु उदास ऎ दिलनशी,
मेरे पास आ तु मुझ से मिल कभी ।
तेरी उदासी मैं युं मिटा दुंगा,
जख्मों को तेरे फिर से भर दुंगा ।
पाओगे सुकुन तुम इतना मेरी बाहों में,
फिर अश्क ना छलकेंगे तेरी आखों में ।
जन्नत सा हो जायेगा ये जीवन तुम्हारा,
जब पाओगे तुम प्यारा-सा साथ हमारा ।
मेरे पास आ तु मुझ से मिल कभी ।
तेरी उदासी मैं युं मिटा दुंगा,
जख्मों को तेरे फिर से भर दुंगा ।
पाओगे सुकुन तुम इतना मेरी बाहों में,
फिर अश्क ना छलकेंगे तेरी आखों में ।
जन्नत सा हो जायेगा ये जीवन तुम्हारा,
जब पाओगे तुम प्यारा-सा साथ हमारा ।
@ Dins'
No comments:
Post a Comment