Sunday, December 28, 2008

ऎ दिलनशी!!!

क्यों है तु उदास दिलनशी,
मेरे पास तु मुझ से मिल कभी

तेरी उदासी मैं युं मिटा दुंगा,
जख्मों को तेरे फिर से भर दुंगा

पाओगे सुकुन तुम इतना मेरी बाहों में,
फिर अश्क ना छलकेंगे तेरी आखों में

जन्नत सा हो जायेगा ये जीवन तुम्हारा,
जब पाओगे तुम प्यारा-सा साथ हमारा


@ Dins'

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