Thursday, July 21, 2011

मुंबई लोकल

न होगी फिकर तुझे
तेरी जिंदगी की,
तो कोई बात नहीं |

पर चिंता उन्हें तेरी जरुर होगी,
जिन्हें तू घर भूल आया है |

लटकते रहे यूँ ही तो,
जिंदगी भी तेरी लटकती रहेगी |

तेरे चले जाने के बाद,
तेरे अपनों की जान फिर
ताउम्र तड़पती रहेगी |

जी ले जी भर कर संग
अपनों के, कौन जाने
ये जिंदगी फिर रहे न रहे |

- दिनेश सरोज
 छवि साभार: गूगल छवि 

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