Monday, July 18, 2011

मेरी नजरें


अब भी नहीं थमा,
वो तेरी और मुड़ जाना
मेरी नज़रों का,

तुझे देखते ही नजरें 
मेरी अब भी
मचल जाती हैं,

फर्क सिर्फ इतना सा है
तब पलकें उठ-उठ कर
तुझे देखा करती थीं,

अब इन आंसुओं को
छुपाने का सब से
जतन किया करती हैं...!

- दिनेश सरोज

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