Friday, January 29, 2010

जीवन में हार तभी मानना ...

जीवन में हार तभी मानना जब -

अँधेरी घनी रात के बाद,
सूर्य ने रोशनी न बिखेरा हो!

ज्येष्ठ की तपती गर्मी के बाद,
बादलों ने धरा को न भिगोया हो!

घनघोर अकाल के बाद -
धरती से फिर कोई बीज,
कभी अंकुरित ही न हुआ हो!

आंधी में घरोंदा उजड़ने पर भी,
पंक्षी ने फिर घोसला न बांधा हो!

चट्टानों से टकरा चूर होकर भी,
लहरें फिर किनारे ना आयी हों!

बच्चा पहली बार खड़ा होने की -
कोशिश में बार-बार गिरकर भी,
कोशिश करना छोड़ दिया हो!


@ Dins'

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