जीवन में हार तभी मानना जब -
अँधेरी घनी रात के बाद,
सूर्य ने रोशनी न बिखेरा हो!
ज्येष्ठ की तपती गर्मी के बाद,
बादलों ने धरा को न भिगोया हो!
घनघोर अकाल के बाद -
धरती से फिर कोई बीज,
कभी अंकुरित ही न हुआ हो!
आंधी में घरोंदा उजड़ने पर भी,
पंक्षी ने फिर घोसला न बांधा हो!
चट्टानों से टकरा चूर होकर भी,
लहरें फिर किनारे ना आयी हों!
बच्चा पहली बार खड़ा होने की -
कोशिश में बार-बार गिरकर भी,
कोशिश करना छोड़ दिया हो!
@ Dins'
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