क्या कोई बताएगा मुझे की क्यों कर
मनाएँ गणतंत्र दिवस?
जबकि कहीं भी नजर नहीं आता कोई तंत्र -
जो संचालित हो रहा हो हर एक गण-गण से,
हाँ! कहने को तो प्रतिनिधि हमनें ही भेजे है,
एक-एक जोड़ कर बहुमत से विजयश्री किये हैं,
और वे तो प्रति-जन मानस के हित बिसराकर,
अपने लिए ही निधि जुटाने में व्यस्त हो गए हैं,
यक़ीनन वे प्रति-निधि भी इसीलिए कहलाते हैं,
क्योंकि, प्रति जनमानस की निधि उनके ही,
कई तिजोरियों में जाकर कैद हो जाती है,
हम ठीक से जानते भी नहीं अपने संवैधानिक अधिकार,
नहीं समझते अपने संवैधानिक कर्तव्य,
हैं मनाते फिर भी गणतंत्र दिवस हर साल...!
क्या कोई बताएगा मुझे की क्यों कर,
मैं कहुं शुभ गणतंत्र दिवस?
जबकी देश का गण-गण भुखमरी, मुफलिसी,
असुरक्षा, भ्रष्टाचार एवं हिंसा इत्यादि से दुखी है,
जहाँ हर गण में भेद भाव के बीज अंकुरित करने,
की कोशिश सारे चरम तक पर कर गयी हो,
जहाँ स्त्री का नारीत्व रसुकवालों की गिरफ्त में हो,
बच्चों का किसी न किसी रूप में शोषण होता हो,
देश के शहीदों को भी उचित सम्मान न मिल रहा हो,
उनके विधवा एवं परिवार को मुआवजा न मिल रहा हो,
जहाँ हर राज्य खुद को देश से अलग कर देख रहा हो,
केंद्र राज्यों का बंटवारा करने में जुटा हो,
नहीं उठाते हम कोई जागरुक कदम विरोध में,
हैं मनाते फिर भी गणतंत्र दिवस हर साल...!
फिर भी आप सुनना ही चाहते हैं तो चलिए,
आप सभी गणों को गणतंत्र दिवस की शुभ कमाना!!!
~~~~~~~~~~~~~~
- दिनेश सरोज
मनाएँ गणतंत्र दिवस?
जबकि कहीं भी नजर नहीं आता कोई तंत्र -
जो संचालित हो रहा हो हर एक गण-गण से,
हाँ! कहने को तो प्रतिनिधि हमनें ही भेजे है,
एक-एक जोड़ कर बहुमत से विजयश्री किये हैं,
और वे तो प्रति-जन मानस के हित बिसराकर,
अपने लिए ही निधि जुटाने में व्यस्त हो गए हैं,
यक़ीनन वे प्रति-निधि भी इसीलिए कहलाते हैं,
क्योंकि, प्रति जनमानस की निधि उनके ही,
कई तिजोरियों में जाकर कैद हो जाती है,
हम ठीक से जानते भी नहीं अपने संवैधानिक अधिकार,
नहीं समझते अपने संवैधानिक कर्तव्य,
हैं मनाते फिर भी गणतंत्र दिवस हर साल...!
क्या कोई बताएगा मुझे की क्यों कर,
मैं कहुं शुभ गणतंत्र दिवस?
जबकी देश का गण-गण भुखमरी, मुफलिसी,
असुरक्षा, भ्रष्टाचार एवं हिंसा इत्यादि से दुखी है,
जहाँ हर गण में भेद भाव के बीज अंकुरित करने,
की कोशिश सारे चरम तक पर कर गयी हो,
जहाँ स्त्री का नारीत्व रसुकवालों की गिरफ्त में हो,
बच्चों का किसी न किसी रूप में शोषण होता हो,
देश के शहीदों को भी उचित सम्मान न मिल रहा हो,
उनके विधवा एवं परिवार को मुआवजा न मिल रहा हो,
जहाँ हर राज्य खुद को देश से अलग कर देख रहा हो,
केंद्र राज्यों का बंटवारा करने में जुटा हो,
नहीं उठाते हम कोई जागरुक कदम विरोध में,
हैं मनाते फिर भी गणतंत्र दिवस हर साल...!
फिर भी आप सुनना ही चाहते हैं तो चलिए,
आप सभी गणों को गणतंत्र दिवस की शुभ कमाना!!!
~~~~~~~~~~~~~~
- दिनेश सरोज
दिनेशजी आपने अपनी पोस्ट के प्रश्न को भारत के ध्वज का रंग देकर ये साबीत कर दिया कि चाहे कोइ कैसा भी हो हमें अपना त्यौहार 26 जनवरी को बडे चाव से मनाना है।
ReplyDeleteआपको आज के पर्व की शुभ कामनाएं।