Monday, March 30, 2009

जाने क्या...

अब, तब, जब...
ना जाने कब?
जो कुछ खोया,
क्यों खोया?
जो कुछ मिला,
कैसे मिला?
था अपना क्या?
क्या है पराया?
है धर्म-अधर्म,
क्या कर्म-काण्ड?
है क्यों व्याधि-विपदा?
सुख, सन्साधन,
और क्या एश्वर्य?
क्या है फलित-चलित,
जाने क्या साश्वत?
क्या है गोचर ग्रहों का,
कौन जाने क्या योनि का?
जो आया उसे तो,
चले ही जाना है!
चले ही जाना तो,
फिर आना ही क्यों?
जीवन-मृ॒त्यु,
लोक-परलोक,
काय-परकाया,
क्या है इनका मर्म?
नहीं जो अभी,
तो होगा वो कब?
है जो वो कब तक?

@ Dins'

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