कस्म-कश, तन्हाई, उलझन,सिहरन,
बंदिसे, कोशिशें, घुटन, चुभन,
जाने किन-किन संवेदना से अब,
और गुजरना पड़ेगा?
हर उस आस को जो कभी,
पूरी होती सी-लगती है,
जाने कब-कब टूट कर,
इधर-उधर बिखरना पड़ेगा!
हर कोशिश चरम तक पहुंचे,
अपना एक मकाम बनाये,
उससे पहले जाने और कितनी बार,
फिरसे पहला कदम बढ़ाना होगा!
अपेच्छाएँ फलित हो तब तक,
उपेक्षाओं का सामना,
करने का साहस अब और,
कब तक बांधना पड़ेगा!
कर्म-काण्ड और प्रारब्ध के,
घेरों में घिरे हुए हैं इनसे,
बाहर निकलने का रास्ता जाने,
कब तक और तलासना पड़ेगा!
जीवन-मृत्यु के बिच का,
दल-दल है ये संसार,
इस चक्कर में जाने और,
कितना जुन्झना पड़ेगा!
सुकून से जीने को तरसे बहुत,
जतन किये कई सारे लेकिन,
सुकून इस जीवन में क्या जाने,
अब, किस क्षण पधारेगा...!
@ Dins'
बंदिसे, कोशिशें, घुटन, चुभन,
जाने किन-किन संवेदना से अब,
और गुजरना पड़ेगा?
हर उस आस को जो कभी,
पूरी होती सी-लगती है,
जाने कब-कब टूट कर,
इधर-उधर बिखरना पड़ेगा!
हर कोशिश चरम तक पहुंचे,
अपना एक मकाम बनाये,
उससे पहले जाने और कितनी बार,
फिरसे पहला कदम बढ़ाना होगा!
अपेच्छाएँ फलित हो तब तक,
उपेक्षाओं का सामना,
करने का साहस अब और,
कब तक बांधना पड़ेगा!
कर्म-काण्ड और प्रारब्ध के,
घेरों में घिरे हुए हैं इनसे,
बाहर निकलने का रास्ता जाने,
कब तक और तलासना पड़ेगा!
जीवन-मृत्यु के बिच का,
दल-दल है ये संसार,
इस चक्कर में जाने और,
कितना जुन्झना पड़ेगा!
सुकून से जीने को तरसे बहुत,
जतन किये कई सारे लेकिन,
सुकून इस जीवन में क्या जाने,
अब, किस क्षण पधारेगा...!
@ Dins'
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