एक होड़ सी लगी रहती है -
समंदर की लहरों में सदा,
रहतीं हैं सदा वे कश्म-कश में,
की हममें से कौन चूमेगा -
निराले साहिल को सबसे पहले!
अपनी मौजों में वे मस्त -
रहती हैं सारी राह,
अक्सर ही रहतीं हैं डूबी हुई,
ख्यालों में सुहाने ...
मिलन वो होगा कैसा उनके साथ?
राह भर करती रहती है अठखेलियाँ,
नहीं करती परवाह वे उन -
आँधियों का अक्सर जो,
बदल देना चाहते हैं उनके राहों को...
जानती हैं बखूबी वे, की मिलन -
साहिल से उनका है क्षणिक लेकिन,
कशिश को अपने कम वो कभी,
भी होने नहीं देतीं...
@ Dins'
समंदर की लहरों में सदा,
रहतीं हैं सदा वे कश्म-कश में,
की हममें से कौन चूमेगा -
निराले साहिल को सबसे पहले!
अपनी मौजों में वे मस्त -
रहती हैं सारी राह,
अक्सर ही रहतीं हैं डूबी हुई,
ख्यालों में सुहाने ...
मिलन वो होगा कैसा उनके साथ?
राह भर करती रहती है अठखेलियाँ,
नहीं करती परवाह वे उन -
आँधियों का अक्सर जो,
बदल देना चाहते हैं उनके राहों को...
जानती हैं बखूबी वे, की मिलन -
साहिल से उनका है क्षणिक लेकिन,
कशिश को अपने कम वो कभी,
भी होने नहीं देतीं...
@ Dins'
सही कहा..........
ReplyDeleteलहरें अपना काम करती रहती हैं.......
निरंतर, बिना रुके बिना आँधियों की परवाह हिये बगेर