Tuesday, November 2, 2010

तेरी याद!

हर वो पल लगे जैसे गुजरा बस अभी,
जब तू मेरी उंगली थामे फिराता मुझे,
मुझे अपने बाँहों में समेटे रहता,
घोड़ा बन मुझे घुमाता इधर-उधर,
फिर झट से अपने कंधे पर बिठा लेता,
तेरे छुवन का अहेसास अब भी -
महसूस होता है मुझे अक्सर |

अब भी रुलाता है जोरों से मुझे,
तेरा समंदर में डुबकी लगा -
डूबने का अभिनय करना,
तेरी मीठी आवाज कि गुंजन,
मुझे सम्मोहित अब भी करती है,
तेरे रटाये पहाड़ों को मैं,
दोहराता हूँ आज भी कभी-कभी |

अब भी सिहर-सा उठता है,
तेरी डांट से बदन मेरा,
तेरी पुकार पर नजर मेरी,
तुझे पास ही कहीं ढुं
नें लगती है,
तेरी याद रातों को अक्सर,
अब भी जगाये रखती है मुझे,
आता हूँ मिलने तुझसे अब भी,
तेरे घुमाये उन जगहों पर |

तेरी मुस्कान अब मैं अपने,
होंठो पर सजाये रखता हूँ ,
तेरी हँसी का पिटारा यहाँ-वहां,
अब मैं ही बिखेरता रहता हूँ,
ओढ़े रहता हूँ तेरा वो अक्कड़पन,
तेरे दिखाए सपनें देखता हूँ,
अब भी मैं अक्सर रातों में,
तुझी से सीखे अंदाज में,
 

मैं जीवन जीने का आनंद लेता हूँ |

- तेरा- दिनेश 

छवि साभार: गूगल छवियां 

1 comment:

  1. सुन्दर अभिव्यक्ति ....यादें जीवन में कई रंग बिखेरती हैं

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