जब थी हसरतें इस दिल में
ज़ानिब उनके आगोश की,
उड़ती रही वो तितली बन
महकते फूलों की दरकार में|
हम होश संभाले बैठे ही थे
कि पतझर का मौसम आया,
देखा फिरते बदहवास उन्हें
किसी खुशबू की तलाश में|
- दिनेश सरोज
ज़ानिब उनके आगोश की,
उड़ती रही वो तितली बन
महकते फूलों की दरकार में|
हम होश संभाले बैठे ही थे
कि पतझर का मौसम आया,
देखा फिरते बदहवास उन्हें
किसी खुशबू की तलाश में|
- दिनेश सरोज
छवि साभार: गूगल छवि
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