Monday, June 27, 2011

इक खुशबू की तलाश में...!


जब थी हसरतें इस दिल में 
ज़ानिब उनके आगोश की,
उड़ती रही वो तितली बन 
महकते फूलों की दरकार में|


हम होश संभाले बैठे ही थे 
कि पतझर का मौसम आया,
देखा फिरते बदहवास उन्हें 
किसी खुशबू की तलाश में|


- दिनेश सरोज
छवि साभार: गूगल छवि 

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