ये शिकायत क्यों है जिंदगी से,
जिंदगी बेरहम तो नहीं,
मुश्किलें तो सभी की जिंदगी में है,
तू अकेला गमगीन तो नहीं,
मौसम के चक्र-सा है ये जीवन,
सुख-दुःख का पहिया चलता ही है,
कोई नहीं जग में जिस पर से ,
समय-चक्र का पहिया गुजरा नहीं,
बस इक आशाओं के दीप धरे ,
तू इस पथ पर यूँ ही बढ़ता जा,
कालिख से न भाग रे बन्दे ,
बस ये दीप संभाले दौड़ा जा,
नहीं जोर है किसी तिमिर में,
कि तेरी लौ बुझा सके जो,
नहीं शोर है किसी गर्जन में,
कि तेरी पुकार दबा सके वो,
नहीं थकेगा जो तू ठाने चले,
अपनी राह मौजों के संग,
कोई फ़िक्र न कर तू बन्दे,
तेरा सफ़र अधुरा न रहेगा,
कोई नहीं जो तू आज है अकेला,
तन्हाई सारी रात ना रहेगा,
सिर्फ तेरा ही दुःख नहीं अकेला,
नज़र तू अपनी क्यों है झुकाता ,
सिस उठाये जोर लगाये हर पल,
चलाचल यूँ ही बन मतवाला,
तेरा अथक श्रम, निरंतर कर्म ही,
लाएगा जीवन में तेरे उजियारा,
तू ना कर शिकायत जिंदगी से,
यही पहनाएगी तुझे विजयश्री माला...!
- दिनेश सरोज
जिंदगी बेरहम तो नहीं,
मुश्किलें तो सभी की जिंदगी में है,
तू अकेला गमगीन तो नहीं,
मौसम के चक्र-सा है ये जीवन,
सुख-दुःख का पहिया चलता ही है,
कोई नहीं जग में जिस पर से ,
समय-चक्र का पहिया गुजरा नहीं,
बस इक आशाओं के दीप धरे ,
तू इस पथ पर यूँ ही बढ़ता जा,
कालिख से न भाग रे बन्दे ,
बस ये दीप संभाले दौड़ा जा,
नहीं जोर है किसी तिमिर में,
कि तेरी लौ बुझा सके जो,
नहीं शोर है किसी गर्जन में,
कि तेरी पुकार दबा सके वो,
नहीं थकेगा जो तू ठाने चले,
अपनी राह मौजों के संग,
कोई फ़िक्र न कर तू बन्दे,
तेरा सफ़र अधुरा न रहेगा,
कोई नहीं जो तू आज है अकेला,
तन्हाई सारी रात ना रहेगा,
सिर्फ तेरा ही दुःख नहीं अकेला,
नज़र तू अपनी क्यों है झुकाता ,
सिस उठाये जोर लगाये हर पल,
चलाचल यूँ ही बन मतवाला,
तेरा अथक श्रम, निरंतर कर्म ही,
लाएगा जीवन में तेरे उजियारा,
तू ना कर शिकायत जिंदगी से,
यही पहनाएगी तुझे विजयश्री माला...!
- दिनेश सरोज
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