पहुंचाऊं साहिब कहो जहाँ तुम,
बस रहो बैठे सीना तान,
सवारी रहेगी ये बड़ी सुहानी,
जब तक है मुझमें प्राण,
धुप चिलमिलाये, धुल उड़े,
छलकती रहे फिर चाहे स्वेद-कण,
नहीं थकेंगे, हम खींचते रहेंगे,
आये ना जब तक मक़ाम,
चक्कर है जग का देखो अनोखा,
खींचे इक को दूजा कोई इंसान!
बस रहो बैठे सीना तान,
सवारी रहेगी ये बड़ी सुहानी,
जब तक है मुझमें प्राण,
धुप चिलमिलाये, धुल उड़े,
छलकती रहे फिर चाहे स्वेद-कण,
नहीं थकेंगे, हम खींचते रहेंगे,
आये ना जब तक मक़ाम,
चक्कर है जग का देखो अनोखा,
खींचे इक को दूजा कोई इंसान!
- दिनेश सरोज