"गम-ए-मुहब्बत हमें भी था -
और शायद उन्हें भी...
दिल का लगाना खेल तो नहीं था -
मुहब्बत उनसे आज भी है...
आज दूर ही सही हमसे फिरभी -
वो हमारे जज्बात में तो है..."
@ Dins'
और शायद उन्हें भी...
दिल का लगाना खेल तो नहीं था -
मुहब्बत उनसे आज भी है...
आज दूर ही सही हमसे फिरभी -
वो हमारे जज्बात में तो है..."
@ Dins'
yahi to pyar hai door ho ya najdik koi fark nahi padata hai..........sundar nazam
ReplyDeleteशानदार जज़्बा!!!
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