-:मंजिल तुझसे दुर नहीं:-
यूँ ही बढा चल राही,
तू अपनी राह पर,
मंजिल तुझसे दुर नहीं |
तेरा अटूट साहस ही है,
तेरा सच्चा साथी,
ये सदा याद रखना |
अपने सामर्थ्य पर,
तु सदा ही,
अटल विश्वास रखना |
बाधाओं को समझना,
उनसे न घबराना कभी,
तोड़ उसका खुद खोजना |
आस न रखना औरों का,
तु अपने पुरुषार्थ पर,
सदा विश्वास रखना |
आदत बना लेना तुम,
जीत को अपनी,
और सदा जीतते रहना |
गम न करना,
कभी 'गर तुम,
सफल न हुए कभी |
चिंतन करना तुम,
कहाँ रही कमी और,
फिर प्रयत्न करना |
जीत को जिद बना लेना,
डटे रहना लगन से,
जीत अवश्य ही होगी,
तुम्हारी ये जान लो,
बस हौसला यूँ ही,
अपना बनाये रखना |
तुम खुद पर रखना,
भरोसा सदा बरकरार,
जीतोगे तुम ही -
हर बार, बारम्बार|
-दिनेश सरोज'
यूँ ही बढा चल राही,
तू अपनी राह पर,
मंजिल तुझसे दुर नहीं |
तेरा अटूट साहस ही है,
तेरा सच्चा साथी,
ये सदा याद रखना |
अपने सामर्थ्य पर,
तु सदा ही,
अटल विश्वास रखना |
बाधाओं को समझना,
उनसे न घबराना कभी,
तोड़ उसका खुद खोजना |
आस न रखना औरों का,
तु अपने पुरुषार्थ पर,
सदा विश्वास रखना |
आदत बना लेना तुम,
जीत को अपनी,
और सदा जीतते रहना |
गम न करना,
कभी 'गर तुम,
सफल न हुए कभी |
चिंतन करना तुम,
कहाँ रही कमी और,
फिर प्रयत्न करना |
जीत को जिद बना लेना,
डटे रहना लगन से,
जीत अवश्य ही होगी,
तुम्हारी ये जान लो,
बस हौसला यूँ ही,
अपना बनाये रखना |
तुम खुद पर रखना,
भरोसा सदा बरकरार,
जीतोगे तुम ही -
हर बार, बारम्बार|
-दिनेश सरोज'
Nice Kavita !!!!
ReplyDeleteDo keep yourself expressed through such poems ....
प्रेरणादायी कविता. बहुत ही अच्छी तरह से रचना की गयी है .
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