न जाना दूरकहीं, मेरी
सोहबत की छाँव से,
न होना दूर कभी |
कि बसती है तू ही
इन निगाहों में, मेरी
धड़कन भी है तू ही,
कोई और नहीं |
मीठा सा अहसास तेरे
स्पर्श का ओ सनम,
कभी न छूटे साथ तेरा,
सिमटी रहे तू मुझमे यूँही |
- दिनेश सरोज