हर कोई चाहे आज भीगना-भिगाना,
गली-गली घूम मिलना सबों से,
टोली बनाना अलबेलों की और,
अबीर उड़ाना, गालों पर रंग लगाना!
न चाहे कोई भीगना रंगों में तो,
गले मिल उनसे हंसी ख़ुशी,
गालों पर थोडा गुलाल लगाना,
माथे पर टीका कर प्रेम बढाना!
रपट किसी को मिल सब एक हो,
झपट किसी को मिल सब एक हो,
फिर फेंकना रंगों भरे कुण्डों में,
फिर लगाना ठहाका एक टंकार हो!
हरा-नीला, लाल-पिला, सुनहरा,
सभी रंगों से भर दें आज आसमान,
अपने पराये का कहीं भेद न हो,
गूंजे 'बुरा न मानों होली है' का नारा!
आज न कोई शिकायत, न कोई ग्लानि,
बस करने दें सब को अपनी मनमानी,
होली का दिन है ही भुला सब पिछली बीती,
कर जाएँ सभी जनों का जीवन सतरंगी!
सभी को होली की ढेरों शुभ कामनाएं!!!
- दिनेश सरोज