Saturday, November 14, 2009

कसौटी


चाहे कितना भी वक़्त गुजार ले,
कोई किसी के संग इक छोटी-सी कसौटी,
खोल देती है सबकी आँखें बंद!
बड़े-बड़े दावे कर लेते हैं साथ निभाने की,
पर इक छोटी सी शंका झंकझोर देती है,
हर मजबूत रिश्तों की बुनियाद!
जिन्हें कभी अपना जाना करते थे,
जिनमें हमारा सारा जमाना था,
फिर अचानक बदल जाता है,
दोस्ती का वो सुहाना अहेसास!
रिश्तों में जाने कहाँ से,
जाती है फिर खटास,
पर दोस्ती तो वो है जो कभी,
दिखाई, सुनाई या जतायी नहीं जाती,
दोस्ती तो बस निभाई और,
बस.. महसूस की जाती है!!!

- दिनेश सरोज'