Monday, March 30, 2009

जाने क्या...

अब, तब, जब...
ना जाने कब?
जो कुछ खोया,
क्यों खोया?
जो कुछ मिला,
कैसे मिला?
था अपना क्या?
क्या है पराया?
है धर्म-अधर्म,
क्या कर्म-काण्ड?
है क्यों व्याधि-विपदा?
सुख, सन्साधन,
और क्या एश्वर्य?
क्या है फलित-चलित,
जाने क्या साश्वत?
क्या है गोचर ग्रहों का,
कौन जाने क्या योनि का?
जो आया उसे तो,
चले ही जाना है!
चले ही जाना तो,
फिर आना ही क्यों?
जीवन-मृ॒त्यु,
लोक-परलोक,
काय-परकाया,
क्या है इनका मर्म?
नहीं जो अभी,
तो होगा वो कब?
है जो वो कब तक?

@ Dins'

Saturday, March 28, 2009

संवेदना

कस्म-कश, तन्हाई, उलझन,सिहरन,
बंदिसे, कोशिशें, घुटन, चुभन,
जाने किन-किन संवेदना से अब,
और गुजरना पड़ेगा?

हर उस आस को जो कभी,
पूरी होती सी-लगती है,
जाने कब-कब टूट कर,
इधर-उधर बिखरना पड़ेगा!

हर कोशिश चरम तक पहुंचे,
अपना एक मकाम बनाये,
उससे पहले जाने और कितनी बार,
फिरसे पहला कदम बढ़ाना होगा!

अपेच्छाएँ फलित हो तब तक,
उपेक्षाओं का सामना,
करने का साहस अब और,
कब तक बांधना पड़ेगा!

कर्म-काण्ड और प्रारब्ध के,
घेरों में घिरे हुए हैं इनसे,
बाहर निकलने का रास्ता जाने,
कब तक और तलासना पड़ेगा!

जीवन-मृत्यु के बिच का,
दल-दल है ये संसार,
इस चक्कर में जाने और,
कितना जुन्झना पड़ेगा!

सुकून से जीने को तरसे बहुत,
जतन किये कई सारे लेकिन,
सुकून इस जीवन में क्या जाने,
अब, किस क्षण पधारेगा...!

@ Dins'

Thursday, March 19, 2009

कशिश


एक होड़ सी लगी रहती है -
समंदर की लहरों में सदा,
रहतीं हैं सदा वे कश्म-कश में,
की हममें से कौन चूमेगा -
निराले साहिल को सबसे पहले!
अपनी मौजों में वे मस्त -
रहती हैं सारी राह,
अक्सर ही रहतीं हैं डूबी हुई,
ख्यालों में सुहाने ...
मिलन वो होगा कैसा उनके साथ?
राह भर करती रहती है अठखेलियाँ,
नहीं करती परवाह वे उन -
आँधियों का अक्सर जो,
बदल देना चाहते हैं उनके राहों को...
जानती हैं बखूबी वे, की मिलन -
साहिल से उनका है क्षणिक लेकिन,
कशिश को अपने कम वो कभी,
भी होने नहीं देतीं...

@ Dins'

Tuesday, March 10, 2009

देखो-रे-देखो वो आया होली !

देखो-रे-देखो वो आया होली !
रंगो, उमंगों, खुशियों का त्योहार!
दिल में है ढेरों उमंग भरी,
पिचकारी में है रंग भरी !
करते हैं वो देखो -
सभी का चेहरा लाल!
सभी उडाते अबीर-गुलाल,

देखो-रे-देखो वो आया होली !
रुठे दिलों को मिलाने का त्योहार!
भुल के सारे गिले-शिकवे पिछडे-
आओ मनाये आज मिल कर होली,
कर सुनहरे रंगो की बौछार,
जीत लो सबके दिलों को यार!

देखो-रे-देखो वो आया होली !
आस्था, विस्वास, सच्चाई का त्योहार!
बुराई पर सच्चाई की जीत का त्योहार!

- दिनेश सरोज!

~: आप सभी को होली की ढेरों शुभकामना!! :~